Know! कलावा (Kalawa or kalaava) किस हाथ में बांधना चाहिए?

Rahul Kushwaha
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कलावा: हिंदू धर्म का रक्षा सूत्र

कलावा (Kalawa, Raksha Sutra), जिसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। धार्मिक कर्मों जैसे पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन और संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली (Mauli) बांधी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जीवन में आने वाले संकट और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए कलावा बांधा जाता है। यह त्रिदेवों और तीन महादेवियों की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।

कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए? (Kalawa or Kalaava kis Hath me bandhana chahiye)

हिंदू धर्म में कलावा या मौली बांधने की परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। कई लोग यह सवाल करते हैं कि कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए? आज हम इस प्रश्न का उत्तर देंगे और इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर भी चर्चा करेंगे।

पुरुषों के लिए (Kalawa or kalaava for men)

पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को कलावा दाहिने हाथ में बांधना चाहिए। इसका धार्मिक महत्व है कि दाहिना हाथ सूर्य का प्रतीक माना जाता है, जो शक्ति, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है। दाहिने हाथ में कलावा बांधने से यह ऊर्जा और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।

विवाहित महिलाओं के लिए (Kalawa or kalaava for women)

विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। बायां हाथ चंद्रमा का प्रतीक है, जो शांति, धैर्य और भावनात्मक संतुलन का प्रतीक है। बाएं हाथ में कलावा बांधने से इन गुणों को मजबूती मिलती है।

कलाई पर कितनी बार लपेटनी चाहिए? (Kalwa kalaee par kitanee baar lapetanee chaahie)

कलावा बंधवाते समय ध्यान दें कि इसे तीन, पांच या सात बार कलाई पर लपेटा जाए। कलावा बांधते समय जिस हाथ में कलावा बांधा जा रहा है, उसमें एक सिक्का रखें और दूसरे हाथ को सिर पर रखें। बाद में वह सिक्का पंडित जी को दें।

किस दिन खोलना चाहिए कलावा?

रक्षा सूत्र खोलने का सबसे सही दिन मंगलवार या शनिवार होता है। पुराना कलावा खोलने के बाद पूजा घर में बैठकर दूसरा कलावा बांध लेना शुभ माना जाता है।

पुराना कलावा कहां रखें? (puraana kalawa or kalaava kahaan rakhen)

पुराना कलावा पीपल के पेड़ के नीचे रखें या बहते पानी में प्रवाहित करें।

आयुर्वेद में कलावा का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, कलावा शरीर की कई प्रमुख नसों को प्रभावित करता है, जिससे वात, पित्त और कफ से संबंधित समस्याएं कम होती हैं। मधुमेह, हृदय रोग और रक्तचाप जैसी बीमारियों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है।

ज्योतिष दृष्टि से रक्षा सूत्र

ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि लाल या केसरी रंग का रक्षा सूत्र बांधने से कुंडली में मंगल का अशुभ प्रभाव कम होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। काले रंग का धागा भी धारण किया जाता है, जिसे शनि ग्रह का प्रतीक माना जाता है।

कलावा बांधने के फायदे

  1. त्रिदेवों और त्रिशक्तियों की कृपा प्राप्त होती है।
  2. व्यक्ति पर मारण, मोहन, विद्वेषण, उच्चाटन, भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता।
  3. देवी-देवताओं के नाम पर बांधी गई मौली संकटों और विपत्तियों से रक्षा करती है।
  4. ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु की कृपा से रक्षा और शिव की कृपा से दुर्गुणों का नाश होता है।
  5. मौली बांधने से मन और मस्तिष्क में शांति और पवित्रता बनी रहती है।
  6. कमर पर बांधा गया रक्षा सूत्र सूक्ष्म शरीर को स्थिर रखता है और बुरी आत्माओं से बचाव करता है। बच्चों को अक्सर कमर में मौली बांधी जाती है जिससे पेट में रोग नहीं होते।

कलावा हिंदू धर्म में न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय और आयुर्वेदिक महत्व भी रखता है। इसे सही प्रकार से बांधना और उचित समय पर खोलना बेहद महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों से बचाने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने का प्रतीक है।

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