बवासीर क्या है -
दोस्तों मैं वैसे जो है एक बहुत ही सामान्य समस्या है यह पुरुषों तथा महिलाओं में लगभग बराबर मात्रा में होती है जो लैट्रिन का रास्ता होता है उसमें जब स्वेलिंग आ जाती है फिर कोई प्रॉब्लम होती है तभी हमें पता लगता है कि हमें पाइल्स या बवासीर की समस्या है बवासीर में खून का गुच्छा होता है उस खून के गुच्छे में खून इकट्ठा हो जाएगा तो वह बवासीर का रूप ले लेगा ।
लगभग 50% मरीज जिनको बवासीर की समस्या होती है उनको ब्रीडिंग की प्रॉब्लम भी होती है विज्ञान ऐसा मानती है कि 50 साल की उम्र के बाद 50% जो पापुलेशन है वह बवासीर की समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं यानी अगर आपकी उम्र 50 साल से ज्यादा हो जाती है तो आपको बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा माना जाता है कि पाइल्स प्रेग्नेंट महिलाओं को ज्यादा होता है !
पाइल्स क्या है - वास्तव में जो हमारा लाइटिंग का रास्ता होता है उसमें खून की नसों के गुच्छे होते हैं यह कॉमन है या सभी को होते हैं लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे समय बढ़ते जाता है लैट्रिन के रास्ते में ज्यादा ताकत लगाने के कारण यह जो खून के नसों के गुच्छे हैं वह फूल जाते हैं जब यह फूल जाते हैं और यह फूलने के बाद प्रॉब्लम करते हैं इन्हें ही बाबासीर कहते हैं
पाइल्स दो प्रकार के होते हैं - इंटरनल हेमोरॉयड (internal hemorrhoids) दूसरा एक्सटर्नल हेमोरॉयड् (external hemorrhoid)।
जो एक्सटर्नल हेमोरॉयड्स होते हैं वह हमें आसानी से महसूस होते हैं जो इंटरनल हेमोरॉयड्स होते हैं अंदर होते हैं जिसे हम आसानी से महसूस नहीं कर पाते।
बवासीर क्यों होते हैं -
बाबासीर या पाइल्स उन्हें सबसे ज्यादा होते हैं जो टॉयलेट में बहुत लंबे समय तक बैठते हैं विज्ञान ऐसा मानता है कि टॉयलेट में आपको लैट्रिंग पास करने के लिए 2 से 3 मिनट से ज्यादा समय नहीं लगाना चाहिए लेकिन बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो टॉयलेट में 15 मिनट 20 मिनट या आधे आधे घंटे तक टॉयलेट में बैठते हैं जो लोग टॉयलेट में ज्यादा बैठते ज्यादा ताकत लगाते हैं उन्हें पाइल्स होने की संभावना हमेशा ज्यादा होती है यदि आपको कब्ज की समस्या है आपको डायरिया होता है और अब बार-बार टॉयलेट जाते हैं इन दोनों परिस्थितियों में आपको पाइल्स होने की संभावना बढ़ जाती है यदि आपको कोई ऐसा काम है जिसमें आपको बहुत भारी सामान उठाना पड़ता है और आप बहुत ज्यादा भारी समान उठाते हैं तो इसमें भी आपको पायल होने की संभावना बढ़ जाती है जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है पैसे पैसे यदि आपको कब्ज की प्रॉब्लम है या मोटापा है और यदि आपको प्रेगनेंसी है ऐसी स्थिति में भी पाइल्स होने की संभावना ज्यादा होती है ऐसा भी माना जाता है कि यहां बहुत लोग ऐसा सोचते हैं की कि यह जेनेटिक है इसका मतलब अगर हमारे किसी पेरेंट्स को पाइल्स है तो हमें भी पाइल्स होने की संभावना ज्यादा है लेकिन वैज्ञानिक रूप से शायद यह तथ्य सही नहीं है लेकिन यह सत्य है कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है वैसे वैसे पाइल्स होने की संभावना बढ़ जाती है।
पाइल्स के लक्षण - सबसे पहली बात यह है कि यदि आपको बवासीर की समस्या है तो 50% आपको कोई भी परेशानी नहीं होगी कोई भी लक्षण नजर नहीं आएगा दूसरी बात यह है कि पहला आरक्षण आप जो महसूस करते हैं वह होता है बिल्डिंग जुलाई होता है उसमें ब्लड आने लगता है वह भी दो तरह से आएगा या तो लैट्रिन करने से पहले आएगा या तो लेट्रिन करने के बाद आएगा जो ब्लड होगा वह बिल्कुल फ्रेश होगा और बिलकुल रेड कलर का होगा ।
इसके अलावा आपको लैट्रिन के रास्ते दर्द होगा या जलन होगा या खुजली होगी यह तीन पाइल्स के मुख्य लक्षण होते हैं।
बाबासीर के आयुर्वेदिक उपचार- देसी कपूर को चने के बराबर मात्रा में ले सुबह खाली पेट एक केले के छोटे टुकड़े में डालकर और खाली पेट निगल जाए।
नारियल में नाड़ी होती है उस नारियल की दाढ़ी को ले और उसको राख बना ले और राख बनाकर उसे 3-3 ग्राम सुबह दोपहर और शाम तीन टाइम छास के साथ ले ले इसके सेवन से ओवर ब्लीडिंग और बिल्डिंग वाले बवासीर ठीक हो जाती है !
फिर भी यदि किसी को बवासीर है तो उसके लिए घर में एक दवा बना ले उसके लिए बकायन 100 ग्राम, नीम की निबोली की गिरी 100 ग्राम, छोटी हरड़ 100 ग्राम, और शुद्ध रसोद 100 ग्राम
इन सबों को लेकर एक साथ पाउडर बना लें और इस पाउडर को एक-एक चम्मच सुबह शाम खाली पेट पानी के साथ ले लेना है पाइल्स प्रॉब्लम सही हो जाएगी।
पतंजलि में मिलने वाली औषधि अभयारिष्ट, दिव्य कुमार्यासव का सेवन करना भी बवासीर में लाभप्रद होता है इसके साथ साथ पतंजलि में मिलने वाली एलोवेरा जूस का सेवन सुबह खाली पेट करें इससे कब्ज तथा पेट की समस्या का समाधान होता है !
इसके अलावा भी आयुर्वेद में बहुत सारे पाइल्स के इलाज है सबसे अच्छा इलाज है प्राणायाम करना प्रतिदिन कपाल भारती और अग्निसार यह प्राणायाम करने के बाद अनुलोम विलोम करना है !
प्राणायाम करने से पाइल्स की समस्या से बचा जा सकता है।