महा सप्तमी , महा अष्टमी , महा नवमी पूजा तथा कुछ रोचक बातें..
महा सप्तमी -
दोस्तों ! यहां हम जानेंगे सप्तमी तिथि के बारे में दोस्तों एक पक्ष जो सातवीं तिथि होती है वही सप्तमी तिथि कहलाती है और सातवीं तिथि को हम सातम भी कहते हैं सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव को माना गया है सूर्य देव को शादी तिथि का स्वामित्व प्राप्त है सप्तमी तिथि जो है वह भद्रा तिथि कहलाती है यानी सप्तमी तिथि भद्रा श्रेणी में आती है दोस्तों सप्तमी तिथि यदि रविवार या बुधवार को हो तो यह बहुत ही शुभ योग बनाता है और यह बहुत ही शुभ मुहूर्त होता है यह अमृत सिद्धि योग बनता है अगर उस दिन कोई भी शुभ काम किया जाए तो अवश्य ही उसका शुभ पर मिलता है इसीलिए सप्तमी तिथि को अमृत सिद्धिदायनी मानी गई है दोस्तों इसी के विपरीत अगर सप्तमी तिथि सोमवार या शुक्रवार को पढ़ती है तो यह बहुत ही अशुभ योग बनाती है इस दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता ना ही कोई शुभ मुहूर्त का योग बनता है !
अगर हम बात करें पर्व की की यदि सप्तमी तिथि है तो कौन-कौन से पर्व पड़ेंगे यदि सप्तमी तिथि रविवार या बुधवार को पड़ती है तो यह भानु पर्व माना जाता है तथा इस भानु पर्व की अगर उपासना की जाए तो यह बहुत ही शुभ होता है यह तिथि अच्छा स्वास्थ्य देने वाली मानी गई है आरोग्यता देने वाली यह तिथि है स्वास्थ, सुख और धन की प्राप्ति के लिए रविवार और सप्तमी का योग एक साथ बनता है तो उस दिन व्रत का पालन करना चाहिए उस दिन व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य मिलता तथा धन की प्राप्ति होती है हर दोस्तों चैत्र मास की कृष्ण पक्ष में जो सप्तमी पडती है उसमें शीतला माता की पूजा की जाती है !
महा अष्टमी -
दोस्तों ! अष्टमी तिथि को मां दुर्गा अष्टमी कहा जाता है इस अष्टमी का बहुत ही महत्त्व है प्रत्येक माह के अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है परंतु नवरात्रि में या अष्टमी तिथि मां दुर्गा को विशेष रुप से समर्पित होता है इसीलिए नवरात्रि में अष्टमी तिथि को महाअष्टमी भी कहा जाता है इसका अत्यधिक महत्व माना जाता है दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है इस दिन मां दुर्गा के अस्त्रों की भी पूजा की जाती है इसलिए इसे कुछ लोग वीर अष्टमी भी कहते हैं कथाओं के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने चंड - मुंड नामक राक्षसों का संघार किया था इसलिए यह दिन और भी ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है मान्यता है कि इस दिन जो भी श्रद्धालु पूरे मन से मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं मैं प्रसन्न होकर उन्हें सुख, समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं दोस्तों अष्टमी तथा नवमी को पूर्ण रूप से स्त्रियों की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है महा अष्टमी के दिन जगह जगह पर पूरे भारत में मां दुर्गा की प्रतिमा व तथा पंडालों को सजाया जाता है बंगाल में विशेष रुप से महा अष्टमी या दुर्गाष्टमी को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है तथा इस पर्व पर वहां धनुषी नृत्य किया जाता है !
महा नवमी -
नवरात्र में महा नवमी पर्व का विशेष महत्व होता है इस दिन शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा का व्रत तथा हवन किया जाता है और उसके बाद व्रत का पारन किया जाता है नवरात्रि के महानवमी वाले दिन माता सिद्धिदात्री का पूजन होता है नवरात्र में बहुत सारे लोगों के लिए महाअष्टमी प्रधान होता तथा बहुत सारे लोगों के लिए महानवमी प्रधान होता है जिन लोगों के लिए नवमी प्रधान होता है वह लोग इस दिन व्रत हवन के बाद मां दुर्गा के प्रतिमा को अपने घर बुलाते हैं इस मां दुर्गा की प्रतिमा में 1 से 6 वर्ष की कन्या को मां दुर्गा रूप में आमंत्रित किया जाता है तथा उनको बहुत ही श्रद्धा तथा विश्वास से हलवा पूरी तथा काला चना इसका की विशेष महत्व है का प्रसाद बनाकर उन दुर्गा रूपी कन्याओं को प्रसाद चढ़ाया जाता है !
व्यक्ति की इतनी श्रद्धा होती है उसके अनुसार कन्याओं को उपहार और दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है बहुत सारे लोग जिनको अष्टमी प्रधान होती है वह यह सारा कार्य अष्टमी के दिन करते हैं तथा जिनकी नवमी प्रधान होती है वह यह सारा कार्य बड़ी श्रद्धा के साथ नवमी में करते हैं दोस्तों जिस व्यक्ति को अपने जीवन में शुभ प्रभाव देखना होता है तथा शुभत्व की प्राप्ति करनी होती है चाहे वह धन से संबंधित हो चाहे वह इससे संबंधित हो संतान से संबंधित हो या पत्नी से संबंधित हो किसी भी प्रकार के लाभ प्राप्ति हेतु तथा मनोकामना पूर्ण हेतु उन्हें मां दुर्गा के पूजा विधि विधान से करना चाहिए !