शरद नवरात्रि भगवती दुर्गा जी की आराधना | जानिए शारदीय नवरात्र का महत्व और बिना इसके पूरी नहीं होती दुर्गा पूजा..
दोस्तों धर्म ग्रंथों और पुराणों के अनुसार शरद नवरात्रि भगवती दुर्गा जी की आराधना करने के लिए सबसे अच्छा समय होता है चैत्र मास में मनाए जाने वाले नवरात्र को चैत्र नवरात्र कहते हैं तथा अश्वनी मास में बनाए जाने वाले नवरात्र को शरद नवरात्रि कहते हैं शरद नवरात्रि की 9 दिनों के अलग-अलग दिनों में मां सरस्वती मां लक्ष्मी और महाकाली की अलग-अलग नौ रूपों की आराधना व पूजा की जाती है और दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है माना जाता है कि नवरात्रि का व्रत करने से माता रानी अपने भक्तों को खुशी शक्ति और ज्ञान प्राप्त करती हैं और सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं हर साल या पावन पर्व श्राद्ध खत्म होने के बाद ही शुरू हो जाते हैं !
शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है -
हिंदू धर्म के अनुसार शारदी नवरात्रि का संबंध भगवान श्रीराम से है ऐसा कहा जाता है कि इन्होंने इस नवरात्रि की शुरुआत की कहा जाता है कि भगवान श्री राम रावण से युद्ध से पहले मां भगवती का आशीर्वाद लेना चाहते थे लेकिन वह चैत्र नवरात्र का इंतजार नहीं करना चाहते थे इसीलिए राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे 9 दिनों तक मां शक्ति की पूजा की और पूजा उन्होंने लगातार नौ दिनों तक विधिवत की और इस के दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध कर दिया तथा लंका पर जीत हासिल की तभी से प्रति वर्ष दो बार नवरात्रि पर्व मनाया जाता है यही वजह है कि शारदीय नवरात्रि मैं 9 दुर्गा मां की पूजा करने के बाद दसवे दिन धर्म की आधार में पर जीत सत्य पर जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा मनाया जाता है !
शारदीय नवरात्रि का महत्व -
पूरे देश में नवरात्रि का यह पर्व बड़े धूमधाम और उत्सव के साथ मनाया जाता है इन दिनों में सभी कष्टों का निवारण सुख समृद्धि और सौभाग्य का संचार होता है इन 9 दिनों की अलग ही विशेषता तथा महिमा होती है !
मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी ,मां चंद्रकला, मां कुंडमंडा, मां कालरात्रि, मां महागौरी, मां स्नेहकद माता, मां सिद्धिदात्री, मां कल्याणकारी
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है मां शैलपुत्री को माता पार्वती के रूप में भी जाना जाता है ऐसा कहा जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से दुख आपदाएं दूर होती हैं !
मां ब्रह्मचारिणी मां , का यह रूप दाहिने हाथ में जाप माला तथा बाएं हाथ में कमंडल लिए मां के इस रूप की पूजा करने से दुर्भाग्य का नाश होता है !
माँ चंद्रघटा, रात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघटा की पूजा की जाती है इस रूप में माँ की 10 भुजाएं हैं और सिर पर आधा चंद्रमा भी सुभोधित है इस रूप की पूजा करने से भक्त साधन में विधि हो जाता है !
मां कुंड मंडा, नवरात्रि के चौथे दिन मां कुंड मंडा की पूजा की जाती है मां के इस रूप को सृष्टि की जननी कहा जाता है मां के इस रूप की आठ भुजाएं हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है मां के इस रूप की पूजा करने से यश आयु बढ़ती है तथा सभी रोग दूर होते हैं !
मां स्नेहकद, माता असुरों का संहार करने के लिए मां दुर्गा ने शेर पर सवार होकर स्नेहकद माता का रूप लिया था मां का यह रूप संतान के प्रति प्रेम को दिखाता है तथा सुख और शांति प्रदान करता है !
मां कल्याणकारी माता, मां की शुरू की पूजा करने से शत्रु का विनाश होता है व कुंवारी लड़कियों की शादी में आ रही बाधाओं का विनाश होता है मां के इस रूप का छत्रिय के घर में जन्म लेने के कारण इन्हें मां कल्याणी कहा जाता है !
मां कालरात्रि, मां कालरात्रि इस रूप का पूजन करने से भय का विनाश होता है कालरात्रि माता का क्रोध उनका श्रृंगार होता है मां का यह रूप बहुत ही शुभ है !
मां गौरी , मां गौरी सौभाग्य का सूचक है मां सिद्ध कोशी मां का यह रूप सिद्धि प्रदान करने वाला है मां के इस रूप की पूजा करने से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है !