दैनिक जीवन एवं दिनचर्या से जुड़ी कुछ खास बातें जो आपको बनाएंगे बेहतर...
Author -
personRahul Kushwaha
मई 10, 2022
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दैनिक जीवन एवं दिनचर्या से जुड़ी कुछ खास बातें जो आपको बनाएंगे बेहतर...
पाँच काम हमेशा ठीक समय पर करना चाहिए- प्रातः उठना , शौच कार्य , स्नान , भोजन और सोना । यह स्वस्थ बने रहने का मूल मंत्र है ।
प्रातः उठते ही कुल्ला करके या दन्त मंजन करके एक गिलास ठण्डा पानी पी कर इसके बाद एक गिलास कुनकुने गर्म पानी में नींबू निचोड़ कर पी लें , फिर शौच के लिए जाएँ ।
मल , मूत्र , छींक , जम्भाई , निद्रा , चता हुआ शुक्र , उलटी , डकार , भूख , प्यास , आँसू , अपान वायु और परिश्रम से उत्पन्न हुआ श्वास वेग- ये आधारणीय वेग हैं । इन वेगों को रोकना नहीं चाहिए । कम खाना और गम खाना- स्वास्थ्य रक्षा करने वाले हैं । अपनी भूख से एक रोटी कम खाने से पेट ठीक रहता है और गम खाने यानि सब से काम लेने से दिमाग ठीक रहता है । पेट व दिमाग ठीक रहे , तो आदमी स्वस्थ रहता है ।
भोजन करके तुरन्त सोना या परिश्रम करना , चिन्ता करते हुए भोजन करना , भोजन करते हुए बातें करना और भोजन के अन्त में जल पीना - अपच और कब्ज करने वाले काम है ।
भूख लगे तब भोजन न करना , भूख मर जाए तब भोजन करना , खूब चबाए बिना निगल जाना , भोजन करने के बाद तीन घण्टे के अन्दर दोबारा खाना और अधिक मात्रा में खाना सुखद नहीं होता ।
देखे बिना जल न पीयें , जाने बिना मित्रता न करें , हाथ धोए बिना भोजन न करें , पूछे बिना राय न दें , अपने से बड़े का तिरस्कार न करें , बलवान से शत्रुता और से मेलजोल न रखें , अजनबी पर एकदम विश्वास न करें , तो कई व्याधियों और विपत्तियों से बचा जा सकता है ।
इस जगत में ऐसा कोई भी पदार्थ नहीं , जो उचित युक्त और मात्रा के अनुसार प्रयोग करने पर औषधि का काम ना करें युक्ति और मात्रा का पालन न करने पर तो भोजन भी विष हो जाता हैं।
अति व्यायाम , अति हँसी - दिल्लगी , अति बोलना , अति परिश्रम , अति जागरण और अति मैथुन - इन कर्मों का अभ्यास हो जाने पर यदि इन से आज कोई कष्ट न भी हो , तो भी इन कर्मों में अति करना उचित नहीं , क्योंकि देर सबेर आज नहीं तो कल अति करना कष्टदायक ही सिद्ध होता है ।
शीतकाल में प्रातःकाल धूप का सेवन करना और रात्रि में शरीर को शीत से बचाना हितकारी होता है , लेकिन भूख सहन करना और देर रात तक जागना हितकारी नहीं होता ।
सोने से पहले पेशाब कर लेना , मीठा दूध पीना , दन्त मंजन करके मुँह साफ करना , हाथ - पैर धो लेना और दिन भर में किये पर विचार करने के बाद ईश्वर का ध्यान करते हुए सोना मानसिक हुए कर्मों एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हितकारी होता है । खाते समय और सोते समय मन एकाग्र रखना चाहिए ।
भोजन के साथ कच्चे सलाद के रूप में गाजर , मूली , हरी ककड़ी , प्याज , पत्ता गोभी , हरा धनिया , मूली के पत्ते , पालक की भाजी आदि में से जो भी उपलब्ध हो , उन्हें बारीक काट कर सलाद के रूप में खाना चाहिए ।